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वो अधूरी सी तारीफ, वो अधूरी सी बातें,
वो दूर की एक झलक, वो ख्वाबों से भरी रातें।
कुछ टूटा तो तेरे दिल में भी होगा,
जब अनकही बातें अनकही ही रह गई;
कमी तुझको भी मेरी खलती तो होगी,
जब तुझ में किसी को उसका जहान नहीं दिखता होगा;
मुझे कविता लिखना पसंद है… इन्हें कविता पढ़ना बिलकुल पसंद नहीं…. इसलिए अक्सर इनसे नाराज़ होकर इन्हीं की शिकायत… पन्नों में उतार देती हूँ… जान...
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