आंखें कुछ नम सी थी और मन में था कुछ शोर ;
आंख बंद कर इश्वर से पूछा,
ईश्वर का इशारा था कुछ इस ओर,
"तेरी मंज़िल कुछ और थी, रास्ता कुछ था और ,
बच्पन से जो ज़िन्दगी जी तुने, उसका उदेश्य था कुछ और।
इसलिए तेरे मन में उठता रहता है,
एह्सासो का तूफ़ान घना,
अब हठ छोड़, समानता भरे जीवन का,
क्यों कर रही ये बचपना।
तू नारी है, तुझे हौसला रखना होगा,
तू नारी है, तुझे हस्ते रहना होगा;
तेरे त्यागों के लिए, तुझे कोइ ना पदक मिलेगा ,
कइ बार तेरी उम्मीदों के एहसासों को झड़प मिलेगा ,
जवाब निष्ठुर कड़क मिलेगा ।
तू नारी है, जोभी अच्छा तू काम करेगी, उसे कर्त्तव्य समझा जाएगा ;
तू नारी है, तेरे आज़ाद विचारो को, तेरे संस्कारों से तौला जाएगा ;
इस्लिए मन मे कोइ गाँठ ना रख्, तेरा जीवन मैने थोड़ा कठिन बनाया है,
ये समझ ले, संघर्षों से जूझने के लिए, तुझे इस धर्ती पे लाया है ।
तू नारी है, किसी से कोइ चाह न कर,
तू नारी है, तू मेहनत कर, अच्छी राह पकड़,
तू बस इतना कर, दूसरी नारी का सम्मान कर,
जो तूने सहा अपने जीवन में,
उसको पैतृक धन समझ कर, उसका उत्तरदान ना कर।
तेरे जीवन पे संयम लगाने वाली तूझे और भी नारी मिल जाएँगी ,
उन में से तू एक ना बन, नारी सशक्त तभी बन पाएंगी ।
अन्यथा ऐसा ही नारी जीवन है,
ऐसे ही चलता जायेगा,
तू नारी है, तुझे इज़्ज़त देने,
मानव साल में एक दिन तेरे लिए बनाएगा,
और उस एक दिन तुझे सम्मान से देखा जाएगा,
वो दिन महिला दिवस कहलायेगा,
वो दिन महिला दिवस कहलायेगा । "
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