यूँ तो तारीफ़
मेरी कभी करते नहीं,
पर जब कमियां
नहीं निकालते,
समझ जाती हूँ
मैं ।
जब कहते हो,
" इवू तुम पर गया है ",
और पलट कर,
इवू से कहते हो,
"इवू बड़ा
क्यूट है तू ",
सबकुछ समझ जाती
हूँ मैं।
लगता है फिक्र
नहीं है मेरी,
पर जब बीमार
होती हूँ,
माँ - बाप बन
कर,
मुझे और घर
दोनों को सँभालते हो,
तब, समझ जाती
हूँ मैं।
रोज़ घर के काम
में,
हाथ नहीं बटाते,
लेकिन जिस दिन
ऑफिस चली जाऊँ,
इवू का पूरा
ध्यान रखते हो,
इन तुम्हारी
बातों से,
सब समझ जाती
हूँ मैं ।
जब रात होते
होते,
थक कर चूर मैं,
बकवास कभी कर
दू,
तब नाराज़ नहीं
होकर,
मुझसे बतियाते
हो तुम,
तुम कितना समझते
हो मुझे,
तब समझ जाती
हूँ मैं ।
घूमने नहीं
ले जाते, डिनर नहीं कराते,
बहार का खाना
कितना बुरा है,
बार बार याद
दिलाते,
पर चटोरी कहकर,
जब घर पर मोमो ले आते हो,
तब समझ जाती
हूँ मैं ।
बोहोत भूक है,
कुछ अच्छा खिला दे; कहके,
मेरे चेहरे
पे थकान देख कर, कहते हो
"यार बहार
का खाने का मन है ",
मेरे लाख कहने
पर भी,
जब कुक को नहीं
हटाते हो,
इस बात से सब
समझ जाती हूँ मैं।
हर संडे, आधा
दिन क्रिकेट खेलने के बाद,
जब वक़्त इवू
के साथ बिताते हो,
मुझे पता है
तुम,
कितना थक जाते
हो,
जताते नहीं
पर, सब समझ जाती हूँ मैं ।
बातें नहीं
करते सारा सारा दिन,
न ही सुनते
हो मेरी बातों को,
पर जब इवू से
बात, करने लगु मैं;
कहते हो
"मुझसे नहीं बात करते दोनों",
तब समझ जाती
हूँ मैं ।
जब बार बार
नाम पुकारते हो मेरा,
क्यों बुला
रहो, पुकारने के ढंग से,
समझ जाती हूँ
मैं।
हर वक़्त, तुम्हारे
पास वक़्त नहीं होता,
पर जितना भी
होता है,
वो कितना खास
है, समझ जाती हूँ मैं ।
कहते नहीं कभी
कि,
चाहते हो मुझे,
पर हर बुरे
वक़्त में, जब साथ निभाते हो,
मैं क्या हूँ
तुम्हारे लिए,
बिना कुछ सुने,
समझ जाती हूँ मैं ।
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