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हजारो बार हम मरते हैं....
बेवजह उन्से प्यार करते हैं....
कयल क्यू रखेगा कोई हमारा,
जब उन्हें पता ही नहीं प्यार किसे कहते हैं...
वो तो अपनी दुनिया में मस्त हो गए...
तो हम क्यू किसी को अपना कहने में डरते हैं....
लोगों को लगता है हम शयरण हैं...
पैर किसे पता,हम अपनी ही दस्ता कहते हैं....
बड़ी अजीब बात है,हम रोते हुए दस्ता सुनते हैं अपनी,
और लोग वह वह करते हैं......
वह वह,,,,
ReplyDeletesorry