Sunday, October 24, 2010



ख्वाइशों के आईने में दाग नहीं लगते,
खुद को परखने का जस्बा चाहिए,
उड़ने के लिए पंख, ज़रूरी नहीं लगते,
बस मनन में एक होसला चाहिए.
अब कोई पहाड़ हमे पहाड़ नहीं लगते,
उसे लाँघ जाने का फरमान चाहिए.
जस्बात हो तो कांटे,कांटे नहीं लगते,
दिल में बस एक अरमान चाहिए,
निगलने को तो फलक भी बैठा है,
जो असमान को चीर दे, वो उड़न चाहिए...

4 comments:

  1. the way you see the life is not always the same........sometimes its you , sometime its the God and sometime our parents who get into the driver seat to comfort us with the joy of reaching out our destination

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  2. @monica: wahhhhhhhhhhhhhh wahhhhhhhhhhhhhhhhh !!!!!!

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  3. vaah!!!!!1
    housle buland hain hmare is dunia ko dikha denge,
    raste mein pahad b aaye to use b piche hata denge........

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  4. der se hi sahi aankhein to khuli teri...

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मुझे कविता लिखना पसंद है… इन्हें कविता पढ़ना बिलकुल पसंद नहीं…. इसलिए अक्सर इनसे नाराज़ होकर इन्हीं की शिकायत… पन्नों में उतार देती हूँ… जान...