Saturday, September 5, 2020

गुरु

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 सुनो गगन की गहन गरीमा,

दुनिया में प्रकाश फैलाये;

जैसे सूरज की लालीमा ,

गगन पे अपना गुंजन गाये;


गुरु ही जग के हैं स्वामी,

दूर करें सबकी खामी;

मंज़िल तक ले जाएँ गुरू,

गुरु पर तुम ही तुम करो गुरूर ;


गुरु पिता हैं, गुरु हैं माता,

बिना गुरु कुछ हमे न आता,

जन्म से लेकर मृत्यु तक,

ऋणि रहेंगे गुरु के सब ;


चूमे चोटियां चलकर चिन्हों पर जिनके;

वो गुरु हैं, हम उनके लघु से तिनके,

गुरु का प्रेम है अमूल्य, है अपरम्पार ,

          जिसके बिना सभी का जीवन है बेकार ! 

           

क्यों एक ही दिन उन्हें याद करें,

जो गुरु हमें आबाद करें,

हर दिन उनका हो,

बस यही रहे फरमान,

जिसने बनाया हम सबको आदमी से इंसान।  



Tuesday, June 2, 2020

सोनू सूद

सुदंर सूरत
और अत्यंत सुंदर सीरत, की मूरत,
जिसने जाना दुःख से रोते, बिलखते,
आज हर गरीब की ज़रुरत।

मंदिर के दरवाज़े जब हो गए थे बंद,
भगवान बनकर लोगो के बीच, प्रकट हुए थे  ये खुद,
जब हम में से कुछ लोग, कुछ धन दान देकर, बैठे रहे अपने घरो में,
ये इंसान, उन हताश बेसुध लोगो के लिए, खुद सड़को पे रहा मौजूद।

आज हर माँ
आप सी संतान चाहेगी;
आप सा आचरण,
अपने बच्चे को सिखाएगी;

जो आपने  मिलवा दिया आज,
इन लाखों परिवारों को,
ये सम्पूर्ण भारत लेगा प्रेरणा,
देख कर आप के विचारो को,

आज आपकी  निऱ्स्वार्थ, निष्ठा से,
वो गरीब, झूम रहा ख़ुशी से कूद ;
हम सबका बहुत बहुत, अभिवंदन स्वीकार करिये ,
दिल के सबसे धनी, आदरणीय सोनू सूद!




Saturday, May 30, 2020

कन्या भ्रूण हत्या


लड़का है या लड़की गर्भ में,
इसकी जानकारी लेना है पाप;
जिनकी वजह से यह पोस्टर लगते हैं, अस्पतालों में;
धन्य हैं, वो माँ बाप.

सच में धन्य हैं, वो माँ... 

कि, चाहती नहीं की उसकी लड़की को, देखना पड़े ये स्वार्थ से भरा जग,
कि, दुनिया जले उससे, देख कर उसके आसमा को छूते पग;
कि, उसकी लड़की महसूस करे, हर कदम पे होता पक्षपात,
कि, उसे सुन्ना पड़े की है वो, परिवार पर एक बोझ मात्र,
कि, उसे हर जनम में देना पड़े अग्नि परीक्षा,
कि, वो खुद को ही दबाने की, ज़िन्दगी भर लेती रहे शिक्षा;

इसलिए उसे पाल पोस कर, एक अच्छे जीवन का भरम क्यों दें,
कि उससे ये उम्मीद की जाये, की वो आगे जाकर, किसी लड़की को जनम क्यों दे; 

लड़की को ना जनम देने का, यही कारण रहा होगा,
या ये वजह होगी, कि स्वयं माँ का जीवन लड़की बनकर, बहुत दुर्भाग्य पूर्ण रहा होगा।

वरना और क्या वजह हो सकती हैं;
जो आया ही नहीं इस दुनिया में, उसे धुत्कारने की,
एक कोख में, पनपे आत्मनिर्भर बीज को मारने की.

अरे ये लड़की तो इतनी आत्मनिर्भर है कि,
इसे चार कन्धों की भी ज़रुरत नहीं;
उठा लेती हैं, अपने सपनों की लाश,
अपने ही कन्धों पर.

इसे  किसी लड़के के मज़बूत कंधे नहीं चाहिए,

मज़बूत कंधे वाले लड़के का महत्व, नहीं  है किसी से कम;
बस उसका अपना एक स्थान है,
वो भी एक इंसान है, और शायद लड़की भी एक इंसान है,
ऐसा तो नहीं की लड़का भगवान् है,
और अगर नहीं है, तो उसी की कामना क्यों,

और अगर है भगवान् तो फिर,
करले पैदा, अपना भगवान्, अपना कृष्ण - कन्हैया,
बिना किसी देवकी के... 

और बसा ले अपना सुन्दर संसार,
बिना किसी लड़की के...














Thursday, May 7, 2020

आपका दूसरा बेटा !

अस्पताल में; पापा से नर्स ने पूछा ,
कोई बच्चा है आपका दूजा ?

हाँ एक बेटा है, पापा ने दिया जवाब,
सुनते ही बोली नर्स, फिर तो. बधाई हो, जनाब,
                                                            
राखी बांधने वाली आ गयी,बेटी हुई है,
अंदर जा के देख लें, पलंग पर लेटी हुई है.

और सुनते ही पापा की आँखें भर आयी,
उनके लिए तो मानो, स्वर्ग से परी उतर आई.

देखते ही मुझको माँ-पापा बोले कितनी सूंदर है,
नर्स फुसफुसाती हुई बोली, इतनी भी नहीं है.

तब भी सुन के अनसुना कर दिया, आज भी कर देते हैं,
जब दुनिया कमियां निकलती है, वो दोनों मुझे आत्म विश्वास से भर देते हैं.

वो कहते रहे मेरी बेटी, मेरे बेटे से कम नहीं,
और लुटाते रहे, मुझपे सबकुछ, उनकी कभी आँखें हुई नम नहीं।

पैरो पर पैर रख कर चलना सिखाया ,
जितना चाहती थी, उतना पढ़ाया ।

कहीं आ ना जाये, मुझमें ज़रा भी अहम्,
इसलिए बीच बीच में डांट का  बाण भी बरसाया।

दोनों काम पे जाते थे ना, तो उन्हें लगा कही प्यार की कमी ना हो जाये,
तो बस प्यार का तालाब बहाते गए, कि खुशियों के बारिश में कमी ना रह जाये। 

बहार जाते वक़्त, माँ का कहना,
कि गैस से दूर रहना, 

कहती वो, आखरी दो रोटी तुम सेकोगी,
तभी तो कुछ सीखेगी,

ससुराल में खिला रही हो ना, सबको खाना पेटभर,
कुछ ऐसे तय किया है मैंने,अब तक, ज़िदगी का सफर.

कई बार आसूं दिए हैं मैंने उनको, 
कहीं फर्स्ट आ गयी, कहीं फिस्सडी रह गयी,

क्या क्या नहीं किया इन्होने,
मेरे होने के बाद इनकी ज़िन्दगी बस एक काडड्डी रह गई.

सांस भी नहीं ले पाते थे, कहीं ज़िन्दगी में मैं न जाऊं हार,
कहीं ऐसा भी होता है क्या, इतना निऱ्स्वार्थ प्यार।

और आज वो खुश भी हैं शायद,
इतना कुछ दिया है बचपन से, और अब भी बस देते ही जा रहे है,

याद नहीं मुझे की कभी अपने लिए कुछ माँगा हो मुझसे।
जो प्यार अब मुझे देना चाहिए, वो भी बिना लिए बस देते जा रहे हैं. 

और इतना भर दिया है मुझे प्यार से, की किसी और को देने में कम  न पड़े,
पर, अब पीछे मुड़के देखती हु ना, तो सोचती हु छुपाये थे अपने सच बड़े.

कहा था आपने मैं भी बेटा हु आपका,  पर ये नहीं कहा था कब तक के लिए,
आपका और मेरा परिवार  एक ही हैं, पर वो भी बस कुछ वक़्त के लिए.

अब लगता है,  काश की मैं आपका बेटा ही होता ,
सिर्फ आपके लिए नहीं, सचमुच के लिए,

वैसे तो तब भी आप कोई चाहत ना करते,
पर मेरी तसल्ली के लिए, मेरा सबकुछ आपका ही होता,

और कम  से कम ,हमारा घर एक होता,
जब तक ज़िन्दगी है, तब तक के लिए.





Tuesday, April 28, 2020

मेरी चाह-हत


कुछ थकान सी थी, थी माथे पे शिकन,
एक झड़प हो गयी थी, इसलिए दुखी था मेरा मन
बस तभी किसी ने, तेरा नाम पुकारा,
एक दोस्त ने तेरी तरफ किया इशारा;

और फिर देखते ही तुझे,
एक अजीब सा सुकून मिला,
और भूल चला मैं,
हर शिकवा गिला;

पर कभी कभी, समझ नहीं आता,
तेरा अंदाज़ ,
कभी मीठा, कभी फीका,
बदलता तेरा मिजाज ।

और जगह जगह बदलता
तेरा रवैया,
फिर भी तेरे बिना चलता नहीं,
मेरी गाड़ी का पहिया।

लत कह ले, या कह दे की तू कोई गलती है,
पर सच तो ये हैं,
तेरे बिना मेरा दिन नहीं चढ़ता,
ना शाम ढलती हैं।

बोहोत खूबसूरत लगती है तू,
गेहुंए से रंग में,
जाने कैसे घुल जाती है तू,
मेरे अपनों के संग में।

वैसे तो मुझे तेरी ज़रुरत,
हर वक़्त होती है,
पर जब घर पर मिलती है तू,
तेरी बात ही कुछ और होती है।

किसी और की गर्मी से,
जहाँ गरम खून होता है ,
तेरी गर्माहट ही सच्ची मोहोब्बत है,
तुझसे ही ज़िन्दगी में सुकून होता है।

जब भी तुझसे मिलने की बात होती है,
बस हाँ में ही, मेरी राय होती है।
अब उस एहसास को, कैसे बयान करुँ,
जब मेरे हाथों में, मेरी एक कप चाय होती है।




Thursday, April 9, 2020

लॉक्ड डाउन

काम पे, ना जाने कितनी शामें बीतीं,
घर पर एक आराम भरी  शाम के इंतज़ार में;
कटती नहीं, वो ही शामें ,
अब अपने ही परिवार में।

वक़्त नहीं था कल,
ख़ुद के, पौधों को पानी देने का,
अब गमलों की भी गिनती,
होने लगी है, यार में।

माँ- बाप, भाई- बहन , पति-पत्नी, बच्चे,
रविवार के,जो मोहताज रह गए थे,
दरख़्वास्त है,
इन्हें धोका न दें,
बने रहें चार दिवार में।

कुछ हफ्ते की गयी, घरवालों की मदद,
वो प्यार, वो व्यव्हार,
ज़िन्दगी भर की होंगी ये यादें ,
इस अवसर को,यूँही ना जाने दें बेकार में।

नींद, सुख, चैन,
वो घर का ही खाना, घर पे ही खाना,
ना जाने क्या क्या खोया है,
ज़िन्दगी की तेज़ रफ़्तार में  ।

वो बचपन का सुकून,
वो ठहराव, वो धीरे धीरे बीतता दिन,
बहुत कुछ बटोरने का मौका है,
इस लॉक्ड डाउन के दरकार में।

Tuesday, March 31, 2020

मुझी को रोना है

बंद देश में, सोचता हूँ, कहाँ जाऊँ,
भूख से तड़पते बच्चो को,
रोटी मैं कैसे खिलाऊँ?

फ़िर सोचता हूँ, जोखिम उठा ही लेता हूँ,
कोरोना से तो बचने की भी गुंजाईश है,
पर खाली पेट, कब तक ज़िंदा रह पाऊं?

दम तो बिन कोरोना, भी घुट गया,
माँ पहले ही बीमार है, बूढ़े पापा लाचार हैं,
इन्हे सौ मील, अस्पताल कैसे ले जाऊं?

बताया था किसी ने, इंसान से इंसान में,
सफर करती है ये बीमारी,
जो मैं ढूँढू, इंसान को, इंसान कहीं ना पाऊँ!

सुना है आप भी सोचते हैं,
मेरे परिवार के बारे में,
आप ही बताओ,
मैं कोरोना से मरू, या 
भुखमरी से मर जाऊँ ?




Sunday, May 5, 2019

I am Miss Fit - Missfit

I am a little different than a few,
& that few contains, you, you & all of you;
The only person likes me & like me is her,
She appears only when I stand in front of a mirror;

Yes I can't enjoy, the thing you do;
But why am I being judged by you?
I am also a human, and from the same planet,
Atleast I don't fake my hobbies nor I plan it.

I'm sure, in the bunch of darkness, there must be a lit
Existing some people, faking to be a fit,
I am waiting to get dissolved in their world, or rather be alone;
or Missfit is the name, I am more than happy to own...





Saturday, May 4, 2019

Guzara  jo itna waqt saath...
Kabhi socha bitaye kitne lamhe saath mein,
Kehne ko to saalo se jante hain unko,
Per unhe apna banana, nhi tha haath mein.

Ikrar bhi maine kiya, Inkar bhi maine suna,
Raat bhar jaagte hue, ek khwab bhi maine buna,
Wo hardum hero raha, mere har ek kisse mein,
Aur ek vikalp banna hi aaya, hurdum mere hisse mein.

Yun to guzarta tha, humara bohot sa waqt saath mein,
Per shayad kuchh kami reh gyi thi, jaise mere jazbaat mein....
Per ab zindagi bitaane ka maine, mano koi raaz jaan liya,
Unki khamoshiyon ko hi maine, unki awaaz maan liya.





There are escapes


That urge to share a thought,
That feeling when you have to say a lot;
And all you see the crowd,
No conversations, only some noise, that too, too loud.




Sometimes, it feels miserable,
Emotions become undecipherable,
All you can feel the solitude,
& it seems that life is screwed.

Thank God, there are escapes,
Few friends pull out all the drapes,
If you keep your eyes wide open,
You wont be anymore, heart broken!








Monday, February 18, 2019

Kuch chhalakte aansu hi hai,
Jo insaan ko insaan banaye rakhte hai...
Jo jwalamukhi bhi rona seekh leta,
To is qadar fatta nahi...

Zasbaat hi hain,
Jo insaan ko insaan banaye rakhte hai...
Jo pathar bhi jasbaati ho jata,
To zindagi mein kabhi tootta nhi

मुझे कविता लिखना पसंद है… इन्हें कविता पढ़ना बिलकुल पसंद नहीं…. इसलिए अक्सर इनसे नाराज़ होकर इन्हीं की शिकायत… पन्नों में उतार देती हूँ… जान...