Saturday, May 30, 2020

कन्या भ्रूण हत्या


लड़का है या लड़की गर्भ में,
इसकी जानकारी लेना है पाप;
जिनकी वजह से यह पोस्टर लगते हैं, अस्पतालों में;
धन्य हैं, वो माँ बाप.

सच में धन्य हैं, वो माँ... 

कि, चाहती नहीं की उसकी लड़की को, देखना पड़े ये स्वार्थ से भरा जग,
कि, दुनिया जले उससे, देख कर उसके आसमा को छूते पग;
कि, उसकी लड़की महसूस करे, हर कदम पे होता पक्षपात,
कि, उसे सुन्ना पड़े की है वो, परिवार पर एक बोझ मात्र,
कि, उसे हर जनम में देना पड़े अग्नि परीक्षा,
कि, वो खुद को ही दबाने की, ज़िन्दगी भर लेती रहे शिक्षा;

इसलिए उसे पाल पोस कर, एक अच्छे जीवन का भरम क्यों दें,
कि उससे ये उम्मीद की जाये, की वो आगे जाकर, किसी लड़की को जनम क्यों दे; 

लड़की को ना जनम देने का, यही कारण रहा होगा,
या ये वजह होगी, कि स्वयं माँ का जीवन लड़की बनकर, बहुत दुर्भाग्य पूर्ण रहा होगा।

वरना और क्या वजह हो सकती हैं;
जो आया ही नहीं इस दुनिया में, उसे धुत्कारने की,
एक कोख में, पनपे आत्मनिर्भर बीज को मारने की.

अरे ये लड़की तो इतनी आत्मनिर्भर है कि,
इसे चार कन्धों की भी ज़रुरत नहीं;
उठा लेती हैं, अपने सपनों की लाश,
अपने ही कन्धों पर.

इसे  किसी लड़के के मज़बूत कंधे नहीं चाहिए,

मज़बूत कंधे वाले लड़के का महत्व, नहीं  है किसी से कम;
बस उसका अपना एक स्थान है,
वो भी एक इंसान है, और शायद लड़की भी एक इंसान है,
ऐसा तो नहीं की लड़का भगवान् है,
और अगर नहीं है, तो उसी की कामना क्यों,

और अगर है भगवान् तो फिर,
करले पैदा, अपना भगवान्, अपना कृष्ण - कन्हैया,
बिना किसी देवकी के... 

और बसा ले अपना सुन्दर संसार,
बिना किसी लड़की के...














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