Friday, November 8, 2024

मुझे कविता लिखना पसंद है…

इन्हें कविता पढ़ना बिलकुल पसंद नहीं….

इसलिए अक्सर इनसे नाराज़ होकर इन्हीं की शिकायत… पन्नों में उतार देती हूँ…

जानती हूँ ये तो पढ़ेंगे नहीं….

सो नॉर्मली कुछ लिखूं तो, उसे सुनाने को…. इनके कानों तक पहुँचने के लिए… मुझे ईयरबड्स के through होते हुए जाना पड़ता है… तो आज मौका भी है दस्तूर भी है… तो आज कुछ लिखा है मैंने… हम दोनों के बारे में…. स्पेशली इनके बारे में…


मैं धूप हूँ तो, ये छाँव है…

मैं शहर हूँ तो, ये गाँव है..

अब गाँव से मेरा मतलब ग़वार नहीं है…

मैं शहर हूँ तो, ये गाँव है..

क्योंकि… इनमें एक शांति है, इनमें एक ठहराव है..!


मैं आग हूँ तो ये पानी है…

मैं एक छोटा सीधा साधा किस्सा हूँ… तो ये एक रहस्यमय कहानी है…

जो कभी लगते हैं बहुत उलझे हुए…

तो अक्सर आसान भी लगते हैं…

किसी दिन खुली किताब से… कभी अजनबी भी लगते हैं..

जैसे कोई आइसबर्ग… जिसके छोटे से विज़िबल टिप के नीचे लाखों छुपे हुए इमोशंस हैं…

जिन्हें जताना नहीं आता…

जिन्हें बताना नहीं आता… लड़के में वाकई बहुत इनोसेंस है…


मेरी पहली नज़र का प्यार है ये…

अब अरेंज मैरेज वालों को ऐसे बोलना पड़ता है… क्योंकि आपकी पहली नज़र उसी इंटेंशन के साथ इस इंसान को देख रही होती है… कि क्या मैं इस इंसान से eventually प्यार करने वाली हूँ या नहीं! तो… झूठ नहीं है ये…

मेरी पहली नज़र का प्यार है ये…

मेरी भागती हुई ज़िन्दगी का इतवार है ये...

कभी सोचती हूँ… मेरे अच्छे कर्मों का फल है ये…

पर जब चौबीसो घंटे, लैपटॉप के सामने देखती हूँ न

तब लगता है, आदमी बहुत बो़रिंग और डल है ये…


कभी बन जाते हैं AI से एडवांस्ड & कूल ये..

तो कभी दिखते हैं, एनालॉग डिवाइसेस से ओल्ड स्कूल ये..

But in reality…. He is a Yogi…

जो ट्रैडीशनल भी है और IN भी हैं…

जिसमें मैं अपना स्ट्रेस डंप कर सकूं… ये वो रीसायकल बिन, भी है…


In short…

मेरी धरती, मेरा आसमान, मेरा पूरा ब्रह्मांड यही है…

मेरे छोटे से SON Ivaan, की जान यही है…

और अगर मैं हूँ पृथ्वी तो मेरा चाँद यही है… (Because his life revolves around me) …

या… ऐसे समरीज़ करू… like my husband says all the time….

शादी की लॉटरी में, मुझे जैकपॉट प्राइज़ में मिल गया….

बचपन से क्रिकेट के लिए क्रेजी थी… और मुझे मेरा पर्सनल सचिन सरप्राइज में मिल गया 😀

Friday, October 11, 2024

Fourty

 At fourty, the mirror shows a story,

Lines of laughter, hints of worry.
Dreams once vivid, now softly frayed,
A dance with loved ones, feels betrayed.

Chasing youth like a fleeting breeze,
Balancing life on a rope, with ease.
Career paths winding, some lost, some found,
In the chaos of living, what’s truly profound?

The heart holds memories, both bitter and sweet,
Moments of triumph, and times of defeat.
Relations evolving, some drift and some stay,
In the ripples of emotions, we learn how to sway.

Health whispers softly, a reminder to care,
While passions ask, will I get my share?
What once felt so certain, now asks for a pause,
To ponder the purpose, to question the cause.

Yet in these struggles, life does bloom,
In the cracks of our emotions, we learn to water our fumes.
The life’s not perfection, but we get hold of it,
Yes, we cry often in the corner and laugh socially, let's admit?

So, here’s to the journey, with all of its flaws,
To the laughter, the heartaches, the heart breaks life draws.
At fourty, we rise, with a wisdom so rare,
Be it a peer or gear, instead of throwing we tend to repair.


मेरा जहान

वो अधूरी सी तारीफ, वो अधूरी सी बातें,

वो दूर की एक झलक, वो ख्वाबों से भरी रातें।

कुछ टूटा तो तेरे दिल में भी होगा,

जब अनकही बातें अनकही ही रह गई;

कमी तुझको भी मेरी खलती तो होगी,

जब तुझ में किसी को उसका जहान नहीं दिखता होगा;

मुझे कविता लिखना पसंद है… इन्हें कविता पढ़ना बिलकुल पसंद नहीं…. इसलिए अक्सर इनसे नाराज़ होकर इन्हीं की शिकायत… पन्नों में उतार देती हूँ… जान...