कोई बच्चा है आपका दूजा ?
हाँ एक बेटा है, पापा ने दिया जवाब,
सुनते ही बोली नर्स, फिर तो. बधाई हो, जनाब,
राखी बांधने वाली आ गयी,बेटी हुई है,
अंदर जा के देख लें, पलंग पर लेटी हुई है.
और सुनते ही पापा की आँखें भर आयी,
उनके लिए तो मानो, स्वर्ग से परी उतर आई.
देखते ही मुझको माँ-पापा बोले कितनी सूंदर है,
नर्स फुसफुसाती हुई बोली, इतनी भी नहीं है.
तब भी सुन के अनसुना कर दिया, आज भी कर देते हैं,
जब दुनिया कमियां निकलती है, वो दोनों मुझे आत्म विश्वास से भर देते हैं.
वो कहते रहे मेरी बेटी, मेरे बेटे से कम नहीं,
और लुटाते रहे, मुझपे सबकुछ, उनकी कभी आँखें हुई नम नहीं।
पैरो पर पैर रख कर चलना सिखाया ,
जितना चाहती थी, उतना पढ़ाया ।
कहीं आ ना जाये, मुझमें ज़रा भी अहम्,
इसलिए बीच बीच में डांट का बाण भी बरसाया।
दोनों काम पे जाते थे ना, तो उन्हें लगा कही प्यार की कमी ना हो जाये,
तो बस प्यार का तालाब बहाते गए, कि खुशियों के बारिश में कमी ना रह जाये।
बहार जाते वक़्त, माँ का कहना,
कि गैस से दूर रहना,
कहती वो, आखरी दो रोटी तुम सेकोगी,
तभी तो कुछ सीखेगी,
ससुराल में खिला रही हो ना, सबको खाना पेटभर,
कुछ ऐसे तय किया है मैंने,अब तक, ज़िदगी का सफर.
कई बार आसूं दिए हैं मैंने उनको,
कहीं फर्स्ट आ गयी, कहीं फिस्सडी रह गयी,
क्या क्या नहीं किया इन्होने,
मेरे होने के बाद इनकी ज़िन्दगी बस एक काडड्डी रह गई.
सांस भी नहीं ले पाते थे, कहीं ज़िन्दगी में मैं न जाऊं हार,
कहीं ऐसा भी होता है क्या, इतना निऱ्स्वार्थ प्यार।
और आज वो खुश भी हैं शायद,
इतना कुछ दिया है बचपन से, और अब भी बस देते ही जा रहे है,
याद नहीं मुझे की कभी अपने लिए कुछ माँगा हो मुझसे।
जो प्यार अब मुझे देना चाहिए, वो भी बिना लिए बस देते जा रहे हैं.
और इतना भर दिया है मुझे प्यार से, की किसी और को देने में कम न पड़े,
पर, अब पीछे मुड़के देखती हु ना, तो सोचती हु छुपाये थे अपने सच बड़े.
कहा था आपने मैं भी बेटा हु आपका, पर ये नहीं कहा था कब तक के लिए,
आपका और मेरा परिवार एक ही हैं, पर वो भी बस कुछ वक़्त के लिए.
अब लगता है, काश की मैं आपका बेटा ही होता ,
सिर्फ आपके लिए नहीं, सचमुच के लिए,
वैसे तो तब भी आप कोई चाहत ना करते,
पर मेरी तसल्ली के लिए, मेरा सबकुछ आपका ही होता,
और कम से कम ,हमारा घर एक होता,
जब तक ज़िन्दगी है, तब तक के लिए.