Monday, June 12, 2017

किस्मत दरवाज़ा खोलेगी

क्यों दुखी है तू, तू राह बदल,
तू धैर्य ना खो,ना चाह बदल;
वक़्त बदलेगा, जो रूठा है;
तू क्यों मुरझाया, क्यों टूटा है?

आज, ताज गिरा है, गिरने दे,
मोहताज नहीं, तेरा हुनर किसी का;
तेरे तारे थोड़े फरने दे,
तू प्यादा नहीं, है वज़ीर यहीं का.

कब तक, तुझसे दूर भागेगी,
एक दिन वो हार के बोलेगी;
तू कोशिश में बस कमी ना कर,
किस्मत दरवाज़ा खोलेगी,
जल्दी दरवाज़ा खोलेगी।



2 comments:

  1. Hope mere kismat ka bhi atleast khidki open ho jaye... need to google to understand ur pro Hindi vocabulary ...

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मुझे कविता लिखना पसंद है… इन्हें कविता पढ़ना बिलकुल पसंद नहीं…. इसलिए अक्सर इनसे नाराज़ होकर इन्हीं की शिकायत… पन्नों में उतार देती हूँ… जान...