ना नारी ही सुरक्षित है ,
ना बच्चो को ही शिक्षा मिल रही है,
कही ख़्वाब पलकों से छीन रहें हैं,
खुदखुशी की यूँ होड़ लगी है .
हर गली में चोर रहते हैं,
हर गली में बैमानी बोल रही है,
फिर क्यूँ लोग मेरे देश को गाली देते,
जब भ्रष्टता तो घर घर में खेल रही है .
कोई बिना पढ़े घर डिग्री ले आता,
कहीं करो की चोरी मुह खोल रही है,
कोई रिश्वत, मिलावट में मर जाता,
कहीं बिजली की चोरी हो रही है.
खुद को रोक लो बिकने से चाँद सिक्को के लिए,
अब तो सिक्को की कीमत भी गिर रही है,
मेरे देश के युवाओं बचा लो इस देश को ,
इसकी हस्ती काली परछाइयों से घिर गयी है .
अगर खुद न किया हो कुछ कम ऐसा तुमने ,
तो बेशक मेरे देश को कोस लेना ,
पर अगर जो खाया है इस धरती का नमक तो,
खुद करके चोरी मेरे देश को गाली मत देना ...
खुद करके चोरी मेरे देश को गाली मत देना ...
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