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सुनो गगन की गहन गरीमा,
दुनिया में प्रकाश फैलाये;
जैसे सूरज की लालीमा ,
गगन पे अपना गुंजन गाये;
गुरु ही जग के हैं स्वामी,
दूर करें सबकी खामी;
मंज़िल तक ले जाएँ गुरू,
गुरु पर तुम ही तुम करो गुरूर ;
गुरु पिता हैं, गुरु हैं माता,
बिना गुरु कुछ हमे न आता,
जन्म से लेकर मृत्यु तक,
ऋणि रहेंगे गुरु के सब ;
चूमे चोटियां चलकर चिन्हों पर जिनके;
वो गुरु हैं, हम उनके लघु से तिनके,
गुरु का प्रेम है अमूल्य, है अपरम्पार ,
जिसके बिना सभी का जीवन है बेकार !
क्यों एक ही दिन उन्हें याद करें,
जो गुरु हमें आबाद करें,
हर दिन उनका हो,
बस यही रहे फरमान,
जिसने बनाया हम सबको आदमी से इंसान।